5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है लेकिन क्यों मनाया जाता है कब से इसकी शुरुआत हुई इसको बताने से पहले डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के बारे में बताना चाहूंगा
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म 5 सितंबर 1988 को तमिलनाडु के एक गांव में हुआ था उन्होंने दर्शन शास्त्र में मास्टर किया और प्रेसीडेंसी कॉलेज मद्रास ,कलकत्ता विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय जैसे कई प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ाया उन्होंने आंध्र विश्वविद्यालय बनारस हिंदू विश्वविद्यालय आदि के कुलपति के रूप में भी कार्य किया
1949 -1952 तक सोवियत संघ में भारत के राजदूत के रूप में कार्य किया
1952 से 1962 तक भारत के पहले उपराष्ट्रपति रूप में और 1962 से 1967 तक भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।
शिक्षा में उनकी सेवाओं के लिए जार्ज पंचम द्वारा नाइटहुड से सम्मानित किया गया
उन्हें 1965 में ब्रिटिश रॉयल ऑर्डर ऑफ मेरिट की मानक सदस्यता से भी समानित किया गया।
उन्हें 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया
1968 में साहित्य अकादमी फेलोशिप से सम्मानित होने वाले पहले व्यक्ति बने उन्हें साहित्य के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार के लिए 16 बार और नोबेल शांति पुरस्कार के 11 बार नामांकित किया गया
1962 में जब उनके कई विद्यार्थी और उनके दोस्त जब उनका जन्म दिवस मनाने के लिए आग्रह किया तब उन्होंने बोला कि मेरे जन्मदिवस को अगर आप शिक्षक रूप के रूप में मनाएंगे तो मुझे ज्यादा खुशी होगी इसी दिन से भारत में शिक्षक दिवस की शुरुआत हुई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह 5 अक्टूबर को मनाया जाता है जबकि भारत में यह 5 सितंबर को सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है
राधाकृष्णन जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे विद्वान शिक्षक राजनेता होने के साथ में बहुत से उच्च पदों पर रहते हुए भी शिक्षा के क्षेत्र में अपना अमूल्य योगदान दिया उनका मानना था कि शिक्षा वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूसे बल्कि वास्तविक शिक्षक वह है जो आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करे।