मुरार थाना पुलिस ने सितम्बर २०२२ में ७५० ग्राम एमडीएमए (मिथाइलीन डाइआक्सी मैथास्फेटमाइन) बरामद कर खूब वाह-वाही लूटी । सात लोगों को नशे के कारोबार के आरोप में जेल में बंद कर दिया। गत दिवस एमडीएमए की रिपोर्ट मप्र हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में पेश हुई तो चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। आरोपितों से जब्त सामग्री यूरिया निकली। कोर्ट ने पुलिस के इस कारनामे पर नाराजगी जताते हुए कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद २१ में दिए अधिकार का उल्लंघन है। याचिककर्ता ने जो समय जेल में बिताया है, उसके बदले में दस लाख रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में दिए जाएं। पुलिस महानिदेशक दो महीने के भीतर राशि का भुगतान करें। इस राशि को उन पुलिस अधिकारियों से वसूल सकते है जिन्होंने गलती की है दोबारा इस तरह की गलती न हो, उसकी भी व्यवस्था बनाई जाए। याचिका की सुनवाई दीपक कुमार अग्रवाल ने की। बता दें कि आरोपित मोहित तिवारी ने हाई कोर्ट में दूसरी बार जमानत याचिका दायर की थी। उसके अधिवक्ता सुशील गोस्वामी ने तर्क दिया कि पुलिस ने जो एमडीएमए जब्त दिखाया है, वह जांच में यूरिया निकली। पुलिस ने याचिकाकर्ता को गलत तरीकके से फंसाया है। पुलिस की इस जांचक की वजह से मोहित छह दिसम्बर २०२२ से जेल में है। कोर्ट ने पुलिस के इस कारनामे पर हैरानी और नाराजगी जताई, मोहित तिवारी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। बता दें कि अभी मोहित तिवारी को ही जमानत मिली है, शेष आरेापित जेल में बंद हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) व इसके तहत आने वाले संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों व उद्योगों का सम्मेलन दिल्ली में आयोजित किया गया। इसमें केंद्रीय कृषि […]