ग्वालियर।
रविवार को सिटी ग्रांड होटल जय जयेन्द्रगंज ग्वालियर में वरिष्ठ साहित्यकार राम सेवक शाक्यवार “स्वप्नेश” द्वारा लिखित बाईसवीं व तेईसवीं दोनों पुस्तकों क्रमशः”पुनर्मिलन” व “मनुर्भवः” का विमोचन एक साथ सम्पन्न हुआ। , तत्पश्चात काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया । पुनर्मिलन एक छंदबद्ध उपन्यास का दूसरा भाग है,जो पिछले छंदोपन्यास “संघर्ष भरा जिसका जीवन” का शेष कथानक है, जिसमें नायक व नायिका के मनोभावों की उथल-पुथल व अंत में उम्र में काफी अन्तर के बाबजूद उनके एक होने की कहानी है, जबकि “मनुर्भवः”में मानव सृष्टि के सृजन के प्रारंभ से उत्तरोत्तर मनुस्मृति के बारे में भ्रामक तथ्यों के उल्लेख आदि का विवरण है।इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ सुरेश सम्राट ने की तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में राम अवध विश्वकर्मा जी उपस्थित रहे अति विशिष्ट अतिथि के रूप में कृष्ण मुरारी शर्मा एवं सारस्वत के रूप में डॉ देवेंद्र तोमर मुरैना उपस्थित रहे ।कार्यक्रम का सफल संचालन मनीष रोशन द्वारा किया गया समस्त आए हुए अतिथियों का स्वागत सत्कार काव्य धारा मंच के अध्यक्ष कार्यक्रम के सूत्रधार संयोजक नयन किशोर श्रीवास्तव ने किया। इस मौके पर उपस्थित वक्ताओं ने दोनों पुस्तकों पर अपनी अपनी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की इस मौके पर वरिष्ठ शायर मनीष रोशन की ओर से पुस्तक के लेखक रामसेवक शाक्यवार के साथ-साथ नयन किशोर श्रीवास्तव को भी काव्य धारा सम्मान से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर एक काव्य संध्या का आयोजन किया गया जिसमें शहर के एवं आसपास के नामचीन कवियों ने बढ़-कर कर हिस्सा लिया
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काव्य संध्या की शुरुआत करते हुए
जमीं पर आप रहके आसमानों की करो बातें,
परिंदों की तरह फिर से उड़ानों की करो बातें।
-डॉ मुक्ता सिकरवार
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मन्दिर मस्जिद बाँट गई है ,दिल लेकिन फिर भी रोते हैं,
नफरत को गर जीत मिली तो,हार मोहब्बत पाती है
-यासीन मन्सूरी
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गीत कोई ऐसा गुनगुनाओ तुम, जो हृदय की धूल को बुहार दे,
छंद कोई ऐसा फिर सुनाओ तुम मंद मंद जो पवन सा प्यार दे।
-धीरेंद्र गहलोत धीर
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मैं दिल के बोझ को दिल से हटाना चाहता हूं
तुम्हें वो राज दिल के सब बताना चाहता हूं
-गोपाल सिंह दंडोतिया
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इन्होने भी किया रचना पाठ
इसके अलावा जिसमें प्रमुख रूप से कवि थे प्रमुख रूप से राम सेवक शाक्यवार “स्वप्नेश”,नयन किशोर श्रीवास्तव,पुष्पा मिश्रा आनन्द,डॉ रवी न्द्र नाथ मिश्र,डॉ विजय श्रीवास्तव,राम अवध विश्वकर्मा, प्रोफेसर कृष्ण मुरारी शर्मा, महेंद्र मुक्त, पुष्पा मिश्रा, रामसेवक शाक्यवार, डॉ विजय करुण, नयन किशोर श्रीवास्तव, रविंद्र नाथ मिश्रा, विजय शंकर श्रीवास्तव, प्रदीप पुष्पेंद्र, श्वेता गर्ग, अमित चितवन, अनिल राही, मुक्त सिकरवार, मनीष रोशन, डॉ देवेंद्र तोमर, डॉ सुरेश सम्राट, रविंद्र रवि, रविकांत दबंग, विजय सेठी अकेला, रमेश त्रिपाठी मछंड, रमेश कटारिया, यासीन खान मंसूरी आदि ने अपनी रचनाएं पढ़ी। कार्यक्रम के अंत में शानदार सुरुचि भोज का आनंद का लाभ भी लिया गया।